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Haryana Nishu Deshwal : हरियाणा की लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा है ये ड्राइवर छोरी, पिता बीमार हुए तो संभाला लोडिंग गाड़ी का स्टीयरिंग

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। यह दिन महिलाओं के लिए बहुत खास है। इस दिन प्रेरणादायक महिलाओं का जिक्र करते हैं। आज हम हरियाणा की ऐसी लड़की के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने मुश्किल से भी मुश्किल समय में हार नहीं मानी।

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। यह दिन महिलाओं के लिए बहुत खास है। इस दिन प्रेरणादायक महिलाओं का जिक्र करते हैं। आज हम हरियाणा की ऐसी लड़की के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने मुश्किल से भी मुश्किल समय में हार नहीं मानी। हरियाणा के लोग उसे ड्राइवर छोरी के नाम से जानते हैं।

जींद जिले के सफीदों क्षत्र के गांव हावडा की निशु देशवाल पिकअप गाड़ी का स्टेयरिंग थामे नजर आती है। निशु देशवाल लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी हैं।

पिता बीमार हुए तो बेटी ने थामी कमान
निशा के पित मुकेश कुमार बीमार हो गए थे उनके दोनों पैरों की नसें जाम हो गई थी। पिता के बीमार होने के बाद बेटी ने पिता की जिम्मेदारी को अपने कंधों पर ले लिया और गाड़ी चलाने लगी । वह किराए पर गाड़ी का सामान ढोने की बुकिंग करती है। पिल्लूखेड़ा के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री लेकर निशा ने खुद का स्टार्टअप शुरू किया।

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निशु का सपना हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर की नौकरी करने का है। निशु देशवाल सोशल मीडिया पर आज ट्रेंडिंग में है। फेसबुक से लेकर इंस्टग्राम पर निशु के लाखों फॉलोवर है। निशु की मां समुनलता का कहना है कि छठी क्लास से ही उनसे अपने घर के कामकाज में रूचि लेनी शुरू कर दी थी। वह बहुत मेहनती और ईमानदार है।

घर के साथ करती है खेतों के काम
निशु घर के अलावा खेत के सभी काम करती है। सुमनलता ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी। उसका चार बार ऑपरेशन हो चुका है, जिसके कारण वह काम करने में असमर्थ है। उसे भी गाड़ी चलानी आती है।

निशु के पिता को भी रीढ़ की हड्डी में परेशानी की वजह से ज्यादा लंबे समय तक बैठ नहीं पाते। निशु का भाई मनदीप बाहर कंपनी में नौकरी करता है तो इस स्थिति में पिता की गाड़ी के स्टेयरिंग को निशु ने खुद संभाला।

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शुरूआत में आसपास के गांव में पशुओं को गाड़ी में छोड़ने के लिए निशु जाती थी लेकिन अब दूसरे राज्यों में भी निशु गाड़ी की बुकिंग पर चली जाती है।

सुमनलता ने बताया कि आज स्थिति यह है कि गांव में शुरू में जो लोग उसकी बेटी को मर्दों जैसा काम करते देख जो निंदा करते थे, वहीं लोग आज निशु पर गर्व महसूस करते हैं। निशु ने बताया कि उसमें खुद की मेहनत से कुछ करने का जुनून है और इस जुनून को हवा उसकी मां ने हौंसले के रूप में दी है। उसका सपना हरियाण रोडवेज की ड्राइवर बनने का है।

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